कहानी ''सत्यापित ''को सुना जा सकता है ,रेडियों की दुनिया के सरताज ,युनूस खान की आवाज में .यहाँ क्लिक कीजिये .....http://katha-paath.blogspot.in/2014/02/blog-post_9.html
-कैलाश वानखेड़े
-कैलाश वानखेड़े
अभी इंतजार में हूँ कि मेरी बारी आये और मैं अपने आपको सत्यापित करवाऊ .मुझे सत्यापित करवाना है अपना फोटो. कोई भी मेरे चेहरे को पढ़कर
अंदाज लगा सकता है कि मैं अभी परेशानी में हूँ, अब और इंतजार नहीं कर सकता. मेरे पास धैर्य था, मेरे पास समय था, मेरे पास सपने थे, मेरे पास मैं था, अब मेरे पास आवेदन पत्र पर वह फोटो है जिसे दुःख-सुख का अनुभव नहीं होता. फोटो पर पड़ने वाली सील और होने वाले हस्ताक्षर से प्रमाणित होने वाला था मेरा वजूद. सत्यापन करने वाली सील अक्सर चेहरा बिगाड़ देती है और
रही-सही कसर लम्बे चौड़े हस्ताक्षर पूरे कर देते. चेहरा पहचानना मुश्किल हो
जाता है.उसी को प्रमाणित मानते है.टहलना नहीं चाहता हूँ .थक गया हूँ बुरी तरह. भूख-प्यास मेरे दिमाग से रुखसत
हो चुकी और अब गुस्सा सवार हो रहा. गर्म लोहा, जब तक आग पर रहता लाल दिखता, आग के हटते ही काला दिखने लगता जिसने लोहे को तपते हुए नहीं देखा वह नहीं जान सकता कि अपने मूल रंग में लौटता लोहा कितना गर्म होता होगा. अपनी उम्मीद को उसी में तपाये हुए इंतजार में हूं .